हाजी मस्तान उर्फ सुलतान मिर्जा था बम्बई का पहला डॉन

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Unde worlds first don hazi mastan Story

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फिल्मों में मायानगरी मुम्बई के डॉन की कहानियों को खूब दिखाया गया। कई डॉन की जिन्दगी से प्रेरित हो कर फिल्में भी बनाई गईं। आज हम आपको बताएगें मुम्बई के पहले डॉन हाजी मस्तान उर्फ सुल्तान मिर्जा की कहानी। वह डॉन जिसने लम्बे समय तक मुम्बई में एक छत्र राज किया। इस डॉन से आम आदमी ही नहीं बड़े बड़े राजनेता,पुलिसवाले औऱ फिल्मी कलाकार भी खौफ खाते थे। खास बात यह है कि हाजी मस्तान ने कभी गोली तक नहीं चलाई। कभी पंचर की दुकान में बैठने वाला हाजी मस्तान स्मगलिंग की दुनिया में उतरा तो देखते ही देखते मुम्बई का सबसे बड़ा डॉन बन गया। ऐसा डॉन जिसकी लाइफ स्टाइल देख कर बड़े बड़े लोगों को जलन होती थी।
1 मार्च 1926 को तमिलनाडु के में जन्मा हाजी मस्तान आठ साल की उम्र में अपने पिता के साथ मुंबई आ गया। तब मुंबई को बम्बई नाम से जाना जाता था। यहां वह अपने पिता के साथ साइकिल बनाने की दुकान पर काम करने लगा। काम खत्म करके जब मस्तान अपने घर को जाता तो बम्बई की चकाचौंध, महंगी गाड़ियां, फिल्मों के पोस्टर उसके मन को बड़ा आदमी बनने के लिए झकझोरते। 1944 में वह बम्बई डॉक में कुली हो गया। यह वह दौर था जब स्मगलिंग का कारोबार फल-फूल रहा था। पोर्ट पर आने वाले सामान पर महंगी इम्पोर्ट ड्यूटी लगती थी। अमीर बनने का अरमान मन में पाले हाजी मस्तान अरब शेख मोहम्मद अल गालिब से मिलने के बाद तस्करी करने लगा। वह नियमित तौर पर उससे कुछ सोने के बिस्किट, महंगी घड़ियां और फिलिप्स ट्रांजिस्टरों को पोर्ट से बाहर ले जाने लगा। इसके एवज में उसे अच्छी रकम मिल जाती थी। देखते ही देखते मिर्जा लखपति हो गया था। किस्मत ने उसे वह रास्ता दे दिया कि जिसके बाद उसने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। वह फुल टाइम तस्कर हो गया और वह अपना साम्राज्य बढ़ाता गया। हाजी मस्तान को बम्बई में अपनी जड़ें और मजबूत करने के लिए सहयोगियों की जरूरत थी जिनका वह इस्तेमाल कर सके। हाजी मस्तान के बारे में एक और दिलचस्प बात यह है कि भले ही वह बंबई पर राज कर रहा था, लेकिन उसने अपने हाथ से गोली कभी नहीं चलाई। वरदराजन मुदालियार और करीम लाला उसका यह काम करते थे। बाद में हाजी मस्तान सुकुर नारायण बखिया के संपर्क में आया जोकि गुजरात का सबसे बड़ा तस्कर था। मस्तान चांदी की जो ईंटें बाहर भेजता था, वह पूरी तरह शुद्ध होती थीं। मस्तान की चांदी खुद में एक ब्रैंड था। मालाबार हिल पर उसका अपना बंगला था,विदेशी गाड़ियां थीं।
हाजी मस्तान अपनी जवानी के दिनों में मधुबाला के प्रति आकर्षित था। वह मधुबाला से शादी करना चाहता था लेकिन उसकी यह इच्छा कभी पूरी नहीं हो सकी। जिस दरम्यान वह मुंबई फिल्म जगत में सक्रिय हो रहा था, उस समय एक अभिनेत्री, वीणा शर्मा उर्फ सोना को यह कहकर प्रचारित किया जा रहा था कि वह मधुबाला जैसी दिखती है। जब हाजी मस्तान ने उसे देखा तो उस स्ट्रगलिंग ऐक्ट्रेस को शादी का प्रस्ताव भिजवाया। बाद में उसने सोना से शादी कर ली। उसके लिए जूहू में एक बंगला खरीदा। बाद में हाजी मस्तान के साथ वह फिल्मी पार्टियों में जाती तो हाजी भी अभिनेताओं-अभिनेत्रियों के साथ अपनी तस्वीरें खिंचवाता। वह इस दौरान फिल्में भी प्रोड्यूस कर रहा था। यह हाजी मस्तान ही था, जिसके माध्यम से फिल्मी दुनिया का ताल्लुक अंडरवर्ल्ड से हुआ। मस्तान को पहली बार 1974 में गिरफ्तार किया गया था। तब उसपर मीसा लगा था। दावे तो यह भी हैं कि मीसा के तहत गिरफ्तार वह पहला व्यक्ति था। हालांकि तब वह 90 दिनों में बाहर आ गया था। लेकिन जैसे ही इमरजेंसी लगी, मस्तान फिर जेल के अंदर हो गया। इस बार उसे कंजर्वेशन ऑफ फॉरेन एक्सचेंज ऐंड प्रिवेंशन ऑफ स्मगलिंग ऐक्ट के तहत जेल में बंद किया गया था। तब उसे 18 महीने जेल में रहना पड़ा था। मस्तान की पहुंच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राम जेठमलानी जैसे बड़े वकील उसका मुकदमा लड़ रहे थे। इमरजेंसी में तो मस्तान जेल में ही बंद रहा, लेकिन बाद में उसके ऊपर लगे आरोप खत्म हुए। हाजी मस्तान ने क्राइम की दुनिया के साथ-साथ राजनीति में भी कदम रखा था और अपनी अलग पार्टी बनाई थी। मुंबई में गरीबों के बीच सुल्तान मिर्जा की काफी अच्छी छवि रही है।

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