Time Travel: क्या इंसान भी कर सकता है टाइम ट्रैवल? आइंस्टीन ने दिया था अनोखा सिद्धांत…
टाइम ट्रैवल को लेकर कई बड़े बड़े दावे किए जाते हैं। यहाँ तक की इससे जुड़ी कई फिल्में और सीरीज भी बन चुकी हैं, लेकिन इस बात में कितना सच है और क्या है सच में संभव है ये बात आज तक रहस्य बनी हुई है, इस पर कई लोग अपनी टिप्पड़ियां भी दे चुके है तो कुछ आज भी इसके बारे में खोज बीन कर रहे है |
आपको बता दें की टाइम ट्रैवल को समझाने में 20वीं सदी के महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइंस्टीन की अहम भूमिका रही है। आइंस्टीन का सापेक्षता का सिद्धांत (Theory Of Relativity) स्पेस और टाइम को एक साथ जोड़ता है। भले ही हमारे लिए किसी टाइम मशीन में बैठकर समय में आगे या पीछे जाना संभव नहीं लगता हो, लेकिन टाइम ट्रैवल संभव है। अगर आपको यह बात अटपटी लग रही है, तो आइए इसे विस्तार से समझने की कोशिश करते हैं…
क्या आप जानते हैं कि विमानों और सैटेलाइट्स पर लगी घड़ियां हमारी घड़ियों से अलग समय बताती हैं? इस तरह देखा जाए तो ब्रह्मांड में मौजूद हर एक वस्तू टाइम ट्रैवल कर रही है। जी हां, इसमें हम भी शामिल हैं, लेकिन हमारे टाइम ट्रैवल की रफ्तार ऐसी है कि हमें इसका पता नहीं चलता। NASA के मुताबिक, हम सभी टाइम में लगभग बराबर रफ्तार से ट्रैवल कर रहे हैं, जो 1 सेकंड प्रति सेकंड बताई गई है।
थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी
‘टाइम ट्रैवल संभव है’ इस बात को समझने के लिए हमें समय में थोड़ा पीछे जाना होगा। लगभग 109 साल पहले अल्बर्ट आइंस्टीन ने बताया कि समय क्या है और यह कैसे काम करता है । आइंस्टीन ने इसे रिलेटिविटी (सापेक्षता) का नाम दिया और इस सिद्धांत को ‘थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी’ यानी ‘सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत’ कहा। यह सिद्धांत कहता है कि समय और स्पेस एक-दूसरे से जुड़े हैं।