Credit Cards: आप भी करते है क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल तो इन बातों का अवश्य रखें ध्यान, नहीं हो सकता है भारी नुकसान…
आज के समय में अधिकतर लोग अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल अवश्य करते हैं। क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल करने पर लोगों को 45 दिन तक बिना ब्याज के लोन मिल जाता है और इसके साथ ही खरीददारी करने पर रिवॉर्ड पॉइंट्स मिलते हैं और क्रेडिट हिस्ट्री भी बनती है। हालाकि इसके कुछ नुकसान है जैसे की कभी कभी आपको इसके बिल को मैनेज करने में भी दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है इसके साथ ही कभी कभी समय पर बिल भरना भी याद नहीं रहता है। अगर आप क्रेडिट कार्ड पेमेंट के लिए ऑटोपे चालू नहीं करते हैं, तो बिल देना भूला सकते हैं। अगर आप बिल समय पर नहीं भरते हैं, तो आपके लिए मुश्किल खड़ी हो सकती है।
क्रेडिट कार्ड बिल जमा करने में देरी करने पर आपके लिए यह एक बड़ी मुश्किल खड़ी हो सकती है। आपको बता दें की पहले देर से बिल जमा करने पर कम जुर्माना लगाया जाता था, लेकिन बदलते समय के साथ यह चार्ज भी काफी बढ़ चुके हैं। तो चलिए हम आपको इस खबर में बताते हैं कि क्रेडिट कार्ड बिल भरने के लिए लगभग कितना समय मिलता है। इसके साथ ही आपको बताएंगे कि क्रेडिट कार्ड पर कंपनियों की तरफ से क्यों जुर्माना लिया जाता और कैसे इसका कैलकुलेट किया जाता है।
कितने समय के अन्दर भर देना चाहिए बिल ?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि क्रेडिट कार्ड बिल को जमा करने के लिए आमौतर 14 से 50 दिनों तक का समय मिलता है। अगर ग्राहक इस दौरान क्रेडिट कार्ड बिल नहीं भरते हैं, तो उनपर जुर्माना लगाना शुरू हो जाता है और बढ़ते समय के साथ ही यह जुर्माना भी बढ़ता चला जाता है। इसके साथ ही कई बैंकों के क्रेडिट कार्ड पर ग्राहकों को बचने का एक मौका भी दिया जाता है, जिसे ग्रेस पीरियड कहा जाता है। इस दौरान आप क्रेडिट कार्ड से खरीददारी करते है फिर भी आपको ब्याज नहीं देना पड़ता है
समय से नहीं भरा बिल तो क्या होगा ?
आप कितनी देर से क्रेडिट बिल भरते हैं, इसके हिसाब से बैंक चार्ज लगाते हैं। क्रेडिट कार्ड का बिल जितनी देर से होगा उतना ही ब्याज बढ़ता जाएगा। अगर आपने बिल जमा करने की आखिरी तारीख तक बिल नहीं भरा तो न सिर्फ जुर्माना लगेगा, बल्कि हर दिन ब्याज भी लगेगा।
क्या होती है ब्याज तय करने की इकाई ?
भारत में क्रेडिट कार्ड पर लगने वाला ब्याज सालाना दर के हिसाब से तय किया जाता है। यह महीने का नहीं बल्कि, पूरे साल का ब्याज है। हालांकि, हर महीने के खर्च पर लगाए जाने वाले को मासिक दर के हिसाब से कैलकुलेट किया जाता है। यह एपीआर और एमपीआर दोनों ही अलग-अलग बैंकों और आपके क्रेडिट कार्ड के प्रकार के हिसाब से बदलते रहते हैं। इसलिए क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करते समय बैंके से जरूर पूछें कि आपके कार्ड पर कितना एपीआर लगेगा।
क्रेडिट स्कोर भी हो सकता है बर्बाद
सरकारी नियमों के मुताबिक, इस ब्याज पर 18 फीसदी जीएसटी भी देना होगा। इससे ब्याज बढ़ जाएगा और आपका क्रेडिट स्कोर भी गिर सकता है। क्रेडिट स्कोर जितना कम होता है, उतना ही लोगों के लिए लोन मिलना मुश्किल होता है। क्रेडिट कार्ड पर लगने वाले जुर्माने से बचने के लिए बिल को समय से भरना चाहिए।