इसरो प्रमुख का दावा जिन सिद्धान्तों को यूरोपीय अपना बताते हैं वह हजारो साल पहले भारतीयों ने खोजे

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ISRO chief said that Sanskrit language is a language based on formula and logic. It is very much liked by scientists because it is based on rules. Even those working on machine learning and artificial intelligence also learn it. A lot of research is being done on the use of Sanskrit language for calculations.

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भारत का मिशन मून सफल रहा और भारत दक्षिण ध्रुव पर पहुंचने वाला पहला देश बन गया। इस सफलता ने एक बार फिर भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी का लोहा पूरे विश्व में मनवाया है। इस मिशन की सफलता में सबसे अधिक किसी का हाथ है तो वह हैं इसरो के प्रमुख एस सोमनाथ। जिन्होंने प्राचीन भारतीय विज्ञान को लेकर बहुत बड़ा दावा किया है। इसरो के चीफ एस सोमनाथ का कहना है कि जिन सिद्धान्तो को यूरोपीय देश अपना बताते हैं उन्हें सदियों पहले ही भारतीय वैज्ञानिकों ने बता दिया था। उन्होंने कहा कि एलजेब्रा से लेकर एविएशन तक सबकुछ पहले वेदों में पाया गया। यूरोप के साइंटिस्ट्स ने भारतीय सिद्धान्तों की नकल की।
उज्जैन में पाणिनि संस्कृत औऱ वैदिक विश्वविद्यालय के दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित करते हुए इसरो प्रमुख ने कहा कि भारतीय वैज्ञानिक संस्कृत भाषा का इस्तेमाल करते थे। इसकी पहले कोई लिखित लिपि नहीं थी। इसे सुन कर लोग याद कर लिया करते थे। बाद में लोगों ने संस्कृत के लिए देवनागरी लिपि का इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि विज्ञान के मूल सिद्धान्त भारत के वेदों से निकले हैं। इसरो चीफ ने दावा किया कि बीजगणित से लेकर विमानन तक सब कुछ पहले वेदों में पाया गया। यह ज्ञान अरब के रास्ते यूरोप पहुंचा। यूरोपीय वैज्ञानिकों ने इसे अपनी खोज बता कर प्रचारित कर दिया। सूर्य सिद्धान्त नाम की पुस्तक का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आठवीं सदी में लिखी गई इस पुस्तक में अंतरिक्ष विज्ञान के बारे में बहुत कुछ बताया गया है।
इसरो प्रमुख ने कहा कि संस्कृत भाषा सूत्र औऱ तर्क पर आधारित भाषा है। नियम पर आधारित होने की वजह से यह वैज्ञानिकों को बहुत पसंद है। यहां तक मशीन लर्निंगं औऱ आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस पर काम करने वाले भी इसे सीखते हैं। गणना के लिए संस्कृत भाषा के प्रयोग पर काफी शोध किया जा रहा है। जो सिद्धान्त हजारो साल पहले संस्कृत में लिखे गए थे उनका पूरी तरह से इस्तेमाल नहीं किया गया जबकि विदेशियों ने इसे अपने अंदाज में पेश कर अपना बता दिया।

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