रहस्य, यह मंदिर बताता है कैसी और कब होगी बारिश
अपने देश में कई रहस्यमयी मंदिर हैं जिनके रहस्यों से पर्दा नहीं उठ सका है। ऐसा ही एक मंदिर उत्तर प्रदेश के कानपुर में है जिसे मॉनसून मंदिर के नाम से जाना जाता है। बेहटा बुजुर्ग गांव में स्थित यह मंदिर बारिश की सटीक भविष्यवाणी करने के लिए पूरे देश में मशहूर है। भगवान जगन्नाथ के इस मंदिर में दर्शन करने के लिए दूर दूर से लोग आते हैं।
कैसे करता है बारिश की भविष्यवाणी
भगवान जगन्नाथ का यह मंदिर गांव के बाहर स्थित है। इस मंदिर के गर्भग्रह में एक चौकोर पत्थर लगा है। मॉनसून के सक्रिय होते ही इस पत्थर पर बूंदे बननी शुरू हो जाती है। यदि पत्थर सिर्फ पसीजता है और बूंदे नहीं बनती है तो बारिश बेहद कम होती है। वहीं पत्थर पर सामान्य आकार की बूंदे बनने पर सामान्य बारिश होती है। यदि पत्थर पर बड़ी बूंदे बनती हैं और बूंदे टपकती हैं तो बारिश बहुत ज्यादा होती है। बूंदों के आकार को देख कर बारिश का अनुमान लगाया जाता है। हैरानी की बात तो यह है कि बारिश होने के बाद पत्थर बन बनने वाली बूंदे पूरी तरह से सूख जाती है।
कब बना मंदिर
मंदिर को लेकर कई तरह की रहस्यमयी बातें हैं। मंदिर के बारे में आज तक कोई पता नहीं लगा पाया कि यह मंदिर कितना पुराना है। इसकी छत से पानी कैसे टपकता है और कब बंद हो जाता है यह भी रहस्य ही बना हुआ है। मदिर के पुजारी केपी शुक्ला कहते हैं कि यह मंदिर उड़ीसा के जगन्नाथ मंदिर से भी पुराना है। वह इसे महाभारत काल से भी प्राचीन बताते हैं। अपने दावों के तर्क में वह मंदिर की कलाकृतियों और मूर्तियों की प्राचीनता का हवाला देते हैं। इस मंदिर में भगवान जगन्नाथ की मूर्ति है उसमें भगवान विष्णु के 24 अवतार देखे जा सकते हैं। इन 24 अवतार में कलयुग में अवतार लेने वाले कल्कि भगवान की भी मूर्ति स्थापित है।
मंदिर की बनावट
इस मंदिर की बनावट किसी बौद्ध मठ की तरह है, जिसकी दिवारें 14 फीट मोटी हैं। इससे मंदिर के सम्राट अशोक के शासन काल में बनाए जाने के अनुमान लगाए जाते थे। मंदिर के बाहर मोर का निशान और चक्र बना है, जिससे ये अंदाजा लगाया जाता है कि चक्रवर्ती सम्राट हर्षवर्धन के कार्यकाल में ये बना होगा। पुरातत्व विभाग को सिर्फ इतना ही पता चल पाया है कि मंदिर के जीर्णोद्धार का कार्य 11वीं सदी में किया गया था।
मौसम वैज्ञानिकों का आकलन
इस मंदिर की बारिश की भविष्यवाणी को हकीकत की कसौटी पर कसने के लिए मौसम वैज्ञानिक भी यहां पहुंचते है। इस बार भी चन्द्रशेखर आजाद कृषि विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ एसएन सुनील पांडे मंदिर पहुंचे। उन्होंने कहा कि मंदिर की बूदों का आकार बताता है कि इस बार झमाझम बारिश होगी। उन्होंने कहा कि मौसम विभाग का अनुमान भी यही है कि इस बार अच्छी बारिश होगी। उन्होने कहा कि मंदिर औऱ मौसम विभाग एक जैसी भविष्यवाणी कर रही है। पहले भी ऐसा हो चुका है।