शक्ति संचयन का पर्व है नवरात्रि, जाने क्यों मनाते हैं चैत्र नवरात्रि

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नवरात्रि को शक्ति संचयन के पर्व के रूप में मनाया जाता है। साधन नौ दिनों तक व्रत रख कर मां की पूजा और अराधना करते हैं। ऐसी मान्यता है कि शक्ति स्वरूपा मां जगदम्बा की नौ दिनों तक सच्चे मन से पूजा करने से मन मांगी मुरादें पूरी होती हैं। साल में दो नवरात्रि मनाई जाती हैं एक चैत्र नवरात्रि और दूसरी शारदीय नवरात्रि। चैत नवरात्रि के साथ ही भारतीय नव वर्ष की शुरूआत भी हो जाती है।

जानते हैं क्यों मनाई जाती है चैत्र मास की नवरात्रि

कहा जाता है कि रम्भासुर का पुत्र महिषासुर बहुत शक्तिशाली था। उसने कठिन तप कर ब्रह्माजी से अमरता का वर मांगा जब ब्रम्हा जी ने उससे कहा कि अमरता का वरदान नहीं दिया जा सकता है तो उसने ब्रम्हा जी से देवता, असुर और पुरुष के हाथों मृत्यु नहीं होने का वह मांगा। जिसके बाद उसने तीनों लोकों पर अपना अधिकार जमा लिया और त्रिलोकाधिपति बन गया। जिससे सभी देवता उससे परेशान हो गए। तब सभी देवताओं ने आदिशक्ति मां जगदंबा का आह्वान किया। देवताओं की प्रार्थना सुनकर मातारानी ने चैत्र नवरात्रि के दिन अपने अंश से 9 रूपों को प्रकट किया। इन 9 रूपों को देवताओं ने अपने-अपने शस्त्र देकर महिषासुर को वध करने का निवेदन किय। शस्त्र धारण करके माता शक्ति संपन्न हो गई। कहते हैं कि नौ रूपों को प्रकट करने का क्रम चैत्र माह की शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ होकर नवमी तक चला इसलिए इन 9 दिनों को चैत्र नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है।

व्रत का वैज्ञानिक आधार भी है

व्रत-उपवास एक शुद्ध भावना के साथ रखने से हमारी सोच सकारात्मक रहती है, जिसका प्रभाव हमारे शरीर पर पड़ता है, जिससे हम अपने भीतर नई ऊर्जा महसूस करते हैं। इस समय प्रकृति अपना स्वरूप बदलती है। वातावरण में एक अलग-सी आभा देखने को मिलती है। पतझड़ के बाद नवीन जीवन की शुरुआत, नई पत्तियों और हरियाली की शुरुआत होती है। संपूर्ण सृष्टि में एक नई ऊर्जा होती है। इस ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करने के लिए हमें व्रतों का संयम-नियम बहुत लाभ पहुंचाता है। नवरात्रि में कृषि-संस्कृति को भी सम्मान दिया गया है। मान्यता है कि सृष्टि की शुरुआत में पहली फसल जौ ही थी। इसलिए इसे हम प्रकृति (मां शक्ति) को समर्पित करते हैं।

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