भारत के सबसे पवित्र मंदिरों में से एक, कोल्हापुर के महालक्ष्मी मंदिर,जानें मन्दिर जुड़े रहस्य
महालक्ष्मी मंदिर भारत के महाराष्ट्र के कोल्हापुर शहर में स्थित एक प्रसिद्ध हिंदू मंदिर है। यह देवी महालक्ष्मी को समर्पित है, जिन्हें अंबाबाई के नाम से भी जाना जाता है, और इसे देश के शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। इस मंदिर में हर साल बड़ी संख्या में भक्तों का तांता लगता है ।
कोल्हापुर का यह श्री महालक्ष्मी मंदिर 108 शक्ति पीठों में से एक है। यदि इतिहास में दर्ज तथ्यों की मानें तो इस मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में चालुक्य वंश के राजा कर्णदेव ने करवाया था। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर में स्थापित माता लक्ष्मी की प्रतिमा लगभग 7,000 साल पुरानी बताई जा रही है। मंदिर के अन्दर नवग्रहों सहित, भगवान सूर्य, महिषासुर मर्दिनी, विट्टल रखमाई, शिवजी, विष्णु, तुलजा भवानी आदि देवी देवताओं के भी पूजा स्थल बने हुए हैं। इन देवी देवताओं की प्रतिमाओं में से कुछ तो 11वीं सदी की भी बताई जा रही हैं। इसके अलावा मंदिर के आंगन में मणिकर्णिका कुंड पर विश्वेश्वर महादेव मंदिर भी बना हुआ है।
मंदिर का स्थापत्य अत्यंत भव्य और प्रभावशाली है। यहां एक काले पत्थर के मंच पर देवी महालक्ष्मीजी की चार हस्थों वाली प्रतिमा है , सिर पर मुकुट पहने हुए है। माता की प्रतिमा को बहुमूल्य गहनों से सजाया जाता है। उनका मुकुट भी लगभग चालीस किलोग्राम वजन का है जो बेशकीमती रत्नों से जड़ा हुआ है। काले पत्थर से निर्मित मां महालक्ष्मी की प्रतिमा की ऊंचाई लगभग 3 फीट है। मंदिर की एक दीवार पर श्री यंत्र पत्थर पर उकेरा गया है। देवी की मूर्ति के पीछे पत्थर से बनी उनके वाहन शेर की प्रतिमा भी स्थित है। वहीं देवी के मुकुट में भगवान विष्णु के प्रिय सर्प शेषनाग का चित्र भी दिखाई देता है। देवी महालक्ष्मी ने अपने चारों हाथों में गदा ,निम्बू फल , ढाल,पानपात्र लिए हुए हैं । निचले दाहिने हाथ में निम्बू फल, ऊपरी दायें हाथ में गदा कौमोदकी है जिसका सिरा नीचे जमीन पर टिका हुआ है। ऊपरी बायें हाथ में एक ढाल और निचले बायें हाथ में एक पानपात्र है। इस मन्दिर में मां महालक्ष्मी पूर्व या उत्तर दिशा की बजाये यहां महालक्ष्मी पश्चिम दिशा की ओर मुख करें हुए स्थापित हैं। देवी के सामने की पश्चिमी दीवार पर एक छोटी सी खुली खिड़की है, जिससे होकर सूरज की किरणें देवी लक्ष्मी का पद अभिषेक करते मध्य भाग पर आती हैं और अंत में उनके मुखमंडल को रोशन करती हैं।
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