हिंदू धर्म में आश्विन मास की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है, उस रात आखिर कान्हा ने गोपियों संग क्यों रचाया था महारास? शरद पूर्णिमा को क्यों कहते हैं रास पूर्णिमा और इसकी पूजा का क्या धार्मिक महत्व है ।
हिंदू धर्म में आश्विन मास में पड़ने वाली पूर्णिमा का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है. । और शास्त्रों में इसे शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, कौमुदी पूर्णिमा व रास पूर्णिमा कहा गया है । और आश्विन मास की इस पूर्णिमा को न सिर्फ चंद्र देवता और लक्ष्मी की पूजा के लिए ही नहीं बल्कि भगवान श्री कृष्ण की पूजा के लिए भी बहुत ज्यादा शुभ माना गया है। और हिंदू मान्यता के अनुसार इसी शरद पूर्णिमा की रात को भगवान श्री कृष्ण ने रासलीला रचाई थी । और कान्हा की इस लीला के पीछे के क्या कारण था और क्या है इसका धार्मिक महत्व, आइए इसे विस्तार से जानते हैं ।
तब कान्हा ने तोड़ा था कामदेव का घमंड
हिंदू मान्यता के अनुसार कामदेव को एक बार अपनी शक्तियों पर बहुत ज्यादा घमंड हो गया था । कि वे किसी भी भी काम के प्रति आसक्त कर सकते हैं. उनमें यह अभिमान भगवान तब आया जब देवताओं के कहने पर उन्होंने अपना महादेव पर अपना कामबाण चलाकर उन्हें माता पार्वती की ओर आकर्षित कराया था. जब यह बात कान्हा को पता चली तो उन्होंने कामदेव का घमंड तोड़ने के लिए उन्होंने ढेर सारी गोपियों को वृंदावन में बुलाकर महारास किया ।
मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात को महारास रचाने के लिए कान्हा ने अपने कई रूप बनाए और प्रत्येक गोपी के साथ अलग-अलग नृत्य किया था. इस दौरान कामदेव ने अपनी पूरी ताकत लगा दी लेकिन कान्हा की कृपा से किसी के मन में भी वासना का प्रवेश नहीं हुआ. इसके बाद कामदेव का घमंड टूट गया. मान्यता है कि भगवान श्री कृष्ण ने शरद पूर्णिमा की रात को ब्रह्म रात के बराबर कर दिया था. पौराणिक मान्यता के अनुसार बह्म रात पृथ्वी पर रहने वाले वाने मनुष्यों की करोड़ों रात के बराबर होती है.
रास पूर्णिमा पर करें ये महाउपाय
हिंदू मान्यता के अनुसार जिस रास पूर्णिमा की रात को भगवान श्री कृष्ण ने गोपियों संग रास लीला की थी, उस दिन मुरलीधर भगवान श्रीकृष्ण की गोपियों संग विधि-विधान पूजा और उनके मंत्र का जाप करने से जीवन में सुख और सौभाग्य बना रहता है. ऐसे में कान्हा की कृपा पाने के लिए साधक को शरद पूर्णिमा की रात को वैजयंती की माला से ‘ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्रीकृष्णाय गोविंदाय गोपीजन वल्लभाय श्रीं श्रीं श्री’ मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए ।
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