रावण को बहुत ही विद्वान और पराक्रमी माना जाता है। रावण जितना बलवान और बुद्धिमान था उतना ही अहंकारी भी था। रावण का अंत उसके अहंकार की वजह से ही हुआ। वह पूरी दुनिया में राक्षस संस्कृति कायम करना चाहता था। जिसके लिए उसने यक्ष,दैत्यों,और देवों से युद्ध किया। रावण ने अपने अभियान में आड़े आने की वजह से अपनी बहन शूर्पनखा के पति की हत्या कर दी थी। बाद में शूर्पणखा ही रावण के अंत की वजह बनी।
दरअसल लंका में रहते हुए शूर्पणखा ने अपनी मर्जी से प्रेम विवाह किया था। उसने विद्युतजिव्ह नाम के दैत्य से विवाह किया था जो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था। रावण सूर्पनखा की इस विवाह से नाखुश था लेकिन बाद में उसने अपने नाना और भाइयों के कहने पर विवाह को मान लिया था। रावण ने जब पूरी दुनिया को रक्ष संस्कृति के अधीन करने के लिए युद्ध शुरू किया था। इस दौरान एक स्थान पर उसका सामना विद्युतजिव्ह हुआ। जिसमें रावण ने अपनी ही बहन के पति का वध कर जीत हासिल की थी। जब शूर्पणखा को इस बात का पता चला तब वह अपने भाई रावण पर बहुत क्रोधित हुई। पति की हत्या से व्यथित शूर्पणखा ने रावण से बदला लेने का फैसला किया था।
यही वो कारण था जिसके चलते शूर्पणखा ने राम और लक्ष्मण से बैर लिया और अपनी दशा दिखाकर रावण को सीता का हरण करने के लिए उकसाया। सीता हरण के चलते ही अंत में रावण का सर्वनाश हुआ था।