उत्तराखंड के इस मन्दिर में लिए थे शिव-पार्वती ने फेरे, यहाँ आज होती है शादियाँ…
मान्यता है कि प्राचीन समय उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग के पास स्थित त्रियुगी नारायण मंदिर में भगवान विष्णु ने ही शिव-पार्वती का विवाह करवाया था. खास बात ये है कि त्रियुगी नारायण मंदिर अब खास वेडिंग डेस्टिनेशन बनता जा रहा है. यहां काफी लोग विवाह करने के लिए पहुंचते हैं
देवभूमि उत्तराखंड में ऋषिकेश और हरिद्वार समेत ऐसी कई जगहें हैं, जहां दूर-दूर से लोग घूमने आते हैं. यहां बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे बड़े धाम तो हैं ही, लेकिन उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां खासतौर पर लोग शादी करने आते हैं. इस मंदिर का नाम है त्रियुगी नारायण मंदिर, जिसे शिव-पार्वती के विवाह स्थल के रूप में जाना जाता है. यह मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है.
स्थानीय भाषा में लोग इसे त्रिजुगी नारायण के नाम से पुकारते हैं. इस मंदिर में सालों से अग्नि कुंड जल रहा है, जिसके चलते इसे अखंड धुनी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है. मंदिर प्रांगण में सरस्वती कुंड, रुद्र कुंड, विष्णु कुंड और ब्रह्म कुण्ड स्थित हैं. खैर, अब ये मंदिर खास वेडिंग डेस्टिनेशन बनता जा रहा है.लोग यहां शादी करने के लिए पहुंचते हैं.
शिव पार्वती ने लिए थे फेरे?
इस बारे में इवेंट मैनेजमेंट एक्सपर्ट निशांत वर्मा का कहना है कि त्रियुगी नारायण मंदिर को लेकर माना जाता है कि यहांभगवान विष्णु ने ही शिव-पार्वती का विवाह करवाया था.ये जगह शिव-पार्वती विवाह स्थल के रूप में ज्यादा प्रचलित है. बरसों से जल रहे अग्निकुंड को लेकर कहा जाता है कि ये वही अग्नि है, जिसके फेरे शिव-पार्वती ने लिए थे. आज भी उनके फेरों की अग्नि धुनि के रूप में जागृत है. यहां विवाह में आए अन्य देवी-देवताओं ने स्नान किया था. मंदिर आने वाले भक्त यहां भेंट में लकड़ियां अर्पित करते हैं. जाते समय मंदिर से अखंड धुनी की राख प्रसाद के रूप में घर ले जाते हैं.
लोगों का फेवरेट वेडिंग डेस्टिनेशन
निशांत वर्मा कहते हैं किज्यादातर लोगों में अब डेस्टिनेशन वेडिंग का ट्रेंड देखने को मिल रहा है. इसी ट्रेंड को फॉलो करते हुए लोग त्रियुगी नारायण मंदिर में शादी करने के लिए पहुंच रहे हैं. लोगों के बीच ये जगह काफी पॉपुलर हो रही है.
कैसे पहुंचे मंदिर
देशभर से रुद्रप्रयाग पहुंचने के लिए कई साधन आसानी से मिल सकते हैं. रुद्रप्रयाग से सोनप्रयाग पहुंचना होगा. अगसत्यमुनि से गुप्तकाशी की फिर सोनप्रयाग आता है. यहां से त्रियुगी नारायण मंदिर आसानी से पहुंच सकते हैं.
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