खलनायक: निर्भय गुर्जर,चम्बल में खौफ का दूसरा नाम जिसकी रंगीन मिजाजी बनी मौत की वजह

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NIRBHAY IMAGE WITH LADY MEMBERS
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-निर्भय गुर्जर पर हत्या,लूट और डकैती सहित 200 मामले थे दर्ज
-गैंग के साथ रखता था जीन्स टॉप पहनने वाली लड़कियां
-रंगीन मिजाजी और अय्याशी की वजह से मारा गया


खलनायक सीरीज में आज हम बात करेंगे उस खौफनाक डकैत की है, जिससे पूरा चम्बल थर्राता था। उसका आम आदमी में ही नहीं वर्दीधारियों में भी इस कदर था कि उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और राजस्थान की पुलिस भी उसका सामना करने से बचती थी। बीहड़ का किंग कहलाने वाले निर्भय गुर्जर के गैंग में पांच दर्जन कुख्यात बदमाश थे। जो एक इशारे पर किसी को उठा लेते, गोलियों से भून देते थे । वह दुर्दांत होने के साथ ही रंगीन मिजाज भी था। यही वजह है कि उसके गैंग में एक तरफ खूंखार डकैत थे तो वहीं जींस टॉप पहने हसीनाएं भी रहती थीं। अपनी अय्याशी की आदत की वजह से ही वह पुलिस की गोली का शिकार बना।

ऐसे डाकू बना निर्भय गुर्जर

निर्भय गुर्जर की कहानी शुरू होती है औरैया के गंगदासपुर गांव से, निर्भय गुर्जर का जन्म सन 1961 एक साधारण परिवार में हुआ था। परिवार में माता-पिता के अलावा पांच बहनें और एक छोटा भाई था। निर्भय गुर्जर परिवार की जरूरत को पूरा करने के लिए बचपन से ही छोटी-मोटी चोरियां करने लगा। चोरी से लेकर डकैती तक का सफर निर्भय गुर्जर ने बहुत ही कम समय में पूरा कर लिया था। डकैती का सबसे पहला मामला निर्भय गुर्जर के ऊपर सन 1989 में जिला जालौन के थाना चुर्खी में दर्ज किया गया था। यहीं से निर्भय के कदम धीरे-धीरे अपराध की दुनिया में बढ़ने लगे। निर्भय गुर्जर डकैत शिव लालाराम गिरोह के संपर्क में आ गया। बहुत जल्दी वो लालाराम का भरोसेमंद भी हो गया। इसी गिरोह के साथ मिलकर निर्भय ने हत्या लूट,अपहरण, डकैती जैसे संगीत वारदातों को अंजाम देना शुरू कर दिया। देखते ही देखते निर्भय पर यूपी,एमपी और राजस्थान के कई जिलों में लूट,अपहरण, हत्या और डकैती के जैसे 200 से अधिक मामले दर्ज हो गए। उस गैंग में सीमा परिहार भी प्रमुख सदस्य थी। जब लालाराम पुलिस मुठभेड़ में मारा गया तब गैंग पर कब्जे को लेकर सीमा-निर्भय आमने सामने हो गए। बाद में सीमा ने निर्भय को गैंग से बाहर कर दिया। उसके खिलाफ मध्य प्रदेश एवं उत्तर प्रदेश पुलिस ने पांच लाख रुपए का इनाम घोषित कर रखा था। बड़ी संख्या में ऐसी पकड़ हुईं जो पुलिस में दर्ज ही नहीं कराई गईं। उस समय पुलिस में जाने का मतलब होता था पकड़ की मौत और कोई ऐसा चाहता नहीं था। लोगों ने खेत बेंचकर अपने बच्चों को छुड़ाया लेकिन पुलिस को सूचना नहीं दी।

अपने ही दत्तक पुत्र की पत्नी से सम्बंध बने मौत की वजह

इस दौरान उसने श्याम नाम के युवा को अपना दत्तक पुत्र बना लिया। धीरे-धीरे श्याम गैंग पर मजबूत पकड़ बनाने लगा। कुछ समय बाद निर्भय ने श्याम की शादी सरला से करवा दी। सरला पहले से ही गैंग में थी और अपहरण कर लाई गई थी। एक दिन श्याम ने निर्भय को अपने पत्नी सरला के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. जिसके बाद वह बगावत पर उतर आया। श्याम ने निर्भय की पत्नी नीलम पर डोरे डालने शुरू कर दिए,दोनों की उम्र एक थी जबकि निर्भय काफी बड़ा था। श्याम निर्भय की पत्नी नीलम को लेकर फरार हो गया था। श्याम और नीलम भाग कर पुलिस के पास पहुंचे थे जिनसे पुलिस को निर्भय के बारे में खुफिया जानकारी मिल गई थी। पहले निर्भय का प्रमुख साथी बुद्ध सिंह लाठी मारा गया। इसके बाद कानपुर के तत्कालीन डीआईजी दलजीत चौधरी ने अपना जाल फैला कर 2005 में ही चंबल के आतंक यानी निर्भय का खात्मा कर दिया था।

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