चंगेज खान 4 करोड़ लोगों की हत्या का था जिम्मेदार,-छोटे से कबीले से निकल बड़े भू भाग पर किया कब्जा

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The warriors used to sweat after hearing the name of Genghis Khan, he killed his brother just for eating fish.

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चंगेज खान का नाम सुन सूरमाओं का पसीना छूट जाता था ,महज मछली खाने पर कर दी थी भाई की हत्या

चंगेज खान एक ऐसा शासक था जिसने अपने वक्त में दुनिया की 11 फीसदी आबादी का खात्मा कर दिया था। चंगेज खान का नाम सुनके अच्छे अच्छे सूरमाओ के पसीने छूट जाते थे। चंगेज खान और उसकी सेना जिस भी क्षेत्र से गुजरती वहां अपने पीछे बर्बादी की कहानियां छोड़ जाती थी। चीन के लोग उसे जंगली तो यूरोप वाले शैतान कहते थे। उसे 4 करोड़ लोगो की मौत का जिम्मेदार माना जाता है।

चंगेज खान का जन्म सन 1162 के आसपास मंगोलिया के एक खानाबदोश कबीले में हुआ था। उसका नाम तिमुचिन रखा गया था। तब मंगोलिया में कोई एक साम्राज्य नहीं था। यहां अलग अलग कबीले थे जो आपस में लड़ते मरते रहते थे। इसी लड़ाई के चक्कर में तिमुचिन के पिता ही हत्या हो गई थी। कबीले के सरदार का बेटा होने की वजह से वो बचपन से ही युद्ध की बारीकियां सीखता रहा। बचपन में तिमुचिन बहुत गुस्सैल था। एकबार उसके भाई ने उसकी मछली चोरी करके खा ली इस पर चंगेज को इतना गुस्सा आया की उसने अपने ही भाई को मार डाला। कहा जाता है कि तिमुचिन जब पैदा हुआ उसके हाथ में मांस का एक लोथड़ा था। कबीलाई परंपरा में इसका मतलब था कि यह बच्चा एक दिन दुनिया पर राज करेगा। अपनी कुशल नेतृत्व छमता और वीरता से तिमुचिन ने तमाम कबीलों को एक किया। उनमें आपसी रिश्ते जोड़े,कई बार विरोध भी हुआ। सालों तक कबीलों के बीच आपसी लड़ाई हुई फिर साल 1206 कबीलों ने आपस में सुलह करने का फैसला किया।

मंगोलियाई सरदारों ने एक मिलिट्री काउंसिल बुलाई। इस काउंसिल में तिमुचिन को तमाम मंगोलों का सरदार घोषित किया साथ ही उसे कागान की उपाधि दी। कागान की उपाधि पाने वाले को खान कहा जाता था। जब कई कबीलो में उसकी अधीनता स्वीकार कर ली और पृथ्वी का बड़ा क्षेत्र उसके कब्जे में आ गया तब उसे मंगोल कबीले के लोगो ने चंगेज नाम से नवाजा।
तेमुजिन जब कागान या खान बना तब उसकी उम्र 51 साल हो चुकी थी। इस उम्र में ज्यादातर लोग शांति और आराम चाहते हैं पर उसके लिए तो यह विजय यात्रा की शरुआत थी। अपनी पत्नी को दूसरे कबीले के लोगों से छुड़ाने के लिए उसने युद्ध की शुरुआत की थी जो उसकी आदत में शुमार हो गया और वह एक के बाद एक लडाइयां जीतता गया। चंगेज खान ने 1206 से 1227 के बीच दुनिया के बड़े हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था। उसका साम्राज्य पूरी दुनिया के 22 प्रतिशत भाग में फैला हुआ था। चीन से लेकर रूस, अफ़ग़ानिस्तान, ईरान, इराक और हंगरी तक चंगेज खान का साम्राज्य फैला हुआ था।

चंगेज खान अपने विजय अभियानो के दौरान जिस भी क्षेत्र में जाता शहरों के शहर तबाह कर देता और खूब मारकाट करता। एक अनुमान के अनुसार उसने अपने समय की 11 फीसदी आबादी का सफाया कर दिया था जो तक़रीबन चार करोड़ बनती है। उसकी बर्बरता का अंदाजा इसी बात से लगाया जाता हे की उसने सन 1219 में ईरान पर हमला करके वहा की 75 प्रतिशत आबादी का समूल खात्मा कर दिया था। उज्बेकिस्तान के बड़े शहर बुखारा और राजधानी समरकंद पूरी तरह से जला कर राख कर दिए। बुखारा की दस लाख आबादी में से मात्र पचास हजार लोग ही जिन्दा बचे थे। चंगेज खान ने जब चीन की दीवार को भेद कर चीन की राजधानी बीजिंग पर कब्ज़ा किया। उसने चीन के कई शहर को उजाड़ दिया, हजारो लाखों लाशो के ढेर लगा दिए। इन बातों से अंदाजा लगता हे की चंगेज खान कितना क्रूर और निर्दय था।

चंगेज खान ने ईरान में जिस राजा ख़ारज़म पर हमला किया था उसका लड़का जलालुदीन भाग कर सिंध नदी तक चला आया और दिल्ली दरबार में आश्रय लेने चला गया। उधर दिल्ली के सुल्तान इल्तुतमिस ने चंगेज खान के डर से जलालुदीन को आश्रय देने से साफ मना कर दिया। जिसके चलते चंगेज खान भारत में दाखिल नहीं हुआ इस तरह उतर भारत एक संभावित और भयानक बर्बादी से बच गया।
चंगेज खान जिस भी क्षेत्र को जीतता था उसके पराजित योद्धाओ की पत्नियों और बेटियों की नंगी परेड करवाता था। वह उस स्त्री का चयन करता था जिसके साथ उसे हमबिस्तर होना होता था। महिलाओ को वो उनकी छोटी नाक लम्बे रेशमी बाल और मधुर आवाज से पसंद करता था। बाकी बची स्त्रीओ को अपने अधिकारियो और सेनापतियों की छावनी में भेज देता था। चंगेज खान की कई पत्नियां थी. इतिहासकारो के अनुसार चंगेज खान हजारो का नहीं तो कमसे कम सैकड़ो बच्चो का बाप था। आज भी चंगेज खान के 1.60 करोड़ पुरुष वंशज जीवित हे अगर महिला वंशजो को भी साथ में जोड़ लिया जाये तो ये संख्या दुगनी हो जाएगी इसका मतलब हे की पृथ्वी पे 3 करोड़ लोग ऐसे हे जिनके दादा के दादा के दादा और नानी के नानी के नानी का पिता चंगेज खान था।

कहा जाता है कि चंगेज खान की मौत 1227 में घोड़े से गिरने की वजह से हुई थी। जीते जी उसने अपनी कोई तस्वीर नहीं बनने दी और मरने से पहले उसने एक फरमान जारी किया कि उसकी कब्र का पता किसी को भी न चले। मंगोल लोक कथाओं के अनुसार जितने लोगों ने उसकी अंतिम यात्रा में हिस्सा लिया था, उन सभी की हत्या कर दी गई ताकि उसकी कब्र न ढूंढी जा सके। मरने से पहले उसका आख़िरी बयान था, ‘मैं पूरी दुनिया फतह करना चाहता था. लेकिन एक उम्र इसके लिए बहुत कम है’।

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