ऐसा क्यों कहा जाता है कि रविवार और मंगलवार को तुलसी का पत्ता नहीं तोडना चाहिए? जानें- क्या है धार्मिक मान्यता?

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हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत पवित्र और शुभ पौधा माना जाता है. आज 23 नवंबर को तुलसी विवाह है. तुलसी विवाह पर माता तुलसी का विवाह भगवान शालीग्राम से कराया जाता है. तुलसी विवाह के दिन से ही सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन तुलसी पूजन और तुलसी विवाह करने की विशेष परंपरा है.

हिंदू धर्म में तुलसी को बहुत पवित्र और शुभ पौधा माना जाता है. तुलसी में बहुत से औषधिय गुण पाए जाते हैं, तो वहीं इसकी पूजा भी की जाती है. आज 23 नवंबर को तुलसी विवाह है. तुलसी विवाह पर माता तुलसी का विवाह भगवान शालीग्राम से कराया जाता है. तुलसी विवाह के दिन से ही सभी प्रकार के शुभ और मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं. इस दिन तुलसी पूजन और तुलसी विवाह करने की विशेष परंपरा है. कहा जाता है कि शाम के समय तुलसी के आगे दीपक जलाने से लक्ष्मी जी का वास होता है. आज हम आपको तुलसी से संबंधित कुछ नियम बताने जा रहे हैं, जिन्हें ध्यान में रखकर ही आपको तुलसी को तोड़ना चाहिए.

किस दिन नहीं तोड़े तुलसी का पत्ता?

कहा जाता है कि तुलसी की पूजा से हर कामना पूर्ण हो जाती हैं और गुरूवार का दिन श्रीहरि विष्णु जी का प्रिय दिन माना जाता है. गुरुवार के दिन श्रीहरि विष्णु जी की विधि विधान से पूजा की जाए तो जीवन में सुख समृद्धि और धन का आगमन होता है. किसी भी तरह की परेशानी इस दिन विष्णु जी की पूजा करने से दूर हो जाती है. तुलसी विष्णु जी को अतिप्रिय है. मान्यता है कि जिस घर में प्रतिदिन तुलसी को जल दिया जाता है, उस घर में कभी भी दरिद्रता का वास नहीं होता है और उस घर में सदैव मां लक्ष्मी, विष्णु जी की कृपा बनी रहती है.

गुरुवार के दिन तुलसी की पूजा करने से अखण्ड सौभाग्य की प्राप्ति होती है और दाम्प्त्य जीवन में खुशहाली बनी रहती है. शास्त्रों के अनुसार, तुलसी के पत्ते एकादशी के दिन, रविवार, सूर्य ग्रहण, चंद्रग्रहण और रात के समय बिल्कुल नहीं तोड़ने चाहिए. इन दिनों में तुलसी के पत्ते तोड़ने की सख्त मनाही होती है.

क्या है धार्मिक मान्यता?

धार्मिक शास्त्रों में बताया गया है कि तुलसी को रविवार के अलावा मंगलवार और शुक्रवार के दिन तोड़ना भी वर्जित है. इन दिनों के साथ ही कुछ विशेष दिन जैसे पूर्णिमा, अमावस्या एवं एकादशी के दिन भी तुलसी के पत्तों को नहीं तोड़ा जाता है. आपकों बता दें कि सक्रांति के दिन और जब घर में किसी का जन्म होने के बाद जब तक नामकरण न हो जाए, तब तक तुलसी के पत्ते बिल्कुल न तोड़ें. वहीं यह भी मान्यता है कि जब घर में किसी की मृत्यु हो जाए तब से लेकर तेरहवी तक तुलसी का पत्ता तोड़ने से बचना चाहिए. सूर्यास्त के समय भी तुलसी दल तोड़ना वर्जित माना जाता है.

सनातन धर्म में तुलसी का पौधा विशेष पूजनीय होता है. प्राचीन काल से ही तुलसी का पौधा घरों में लगाने की परंपरा है. इसको लगाने से न सिर्फ सुख शांति का वास होता है बल्कि वास्तु दोष भी दूर होते हैं. पुराणों में कहा गया है कि तुलसी इतनी पवित्र है कि भगवान विष्णु ने इसे अपने सिर पर स्थान दिया है और बिना तुलसी के पत्ते के प्रसाद भी ग्रहण नहीं करते हैं. अगर आपके घर में भी तुलसी का पौधा है तो आपको भी कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए.

रविवार और एकादशी के दिन क्यों नहीं तोड़े जाते तुलसी के पत्ते?

पौराणिक मान्यता है कि तुलसी को पौधा भगवान विष्णु जी को अत्यंत प्रिय है. हिंदू मान्यता के अनुसार, रविवार और एकादशी का दिन भगवान श्रीहरि को समर्पित होता है. यही कारण है कि रविवार और एकादशी के दिन तुलसी के पत्तों को तोड़ना वर्जित माना जाता है.

तुलसी के पत्ते तोड़ने के नियम

  • शास्त्रों में बताया गया है कि बिना स्नान किये या गंदे हाथों से तुलसी का पत्ता नहीं तोड़ना चाहिए. पूजन में ऐसे तोड़ें गये पत्ते स्वीकार नहीं किए जाते हैं.
  • तुलसी के पत्तों को कभी भी चाकू, कैंची या फिर नाखुन आदि का इस्तेमाल करके नहीं तोड़ना चाहिए.
  • तुलसी का पत्ता एक एक न करके बल्कि पत्तियों के साथ उसके अग्र भाग को भी तोड़ना चाहिए.
  • यदि आप शालीग्राम भगवान की पूजा कर रहे हैं तो इन तिथियों में तुलसी तोड़ी जा सकती है. तुलसी का पत्ता सात दिनों तक बासी नहीं होता है.
  • मान्यता है कि पूजा करने के लिए खुद गिरी हुई तुलसी के पत्ते सबसे उपयुक्त माने जाते हैं.
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